भूकंप से नेपाल में 1000 से अधिक लोगो ने गवाई जान लगी इमरजेंसी ......

भारत और नेपाल में 1000 से अधिक लोगो ने गवाई जान। ……… 


दिल्ली समेत पूरे भारत और पडोसी पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश में शनिवार दोपहर आए जबर्दस्त भूकंप ने नेपाल में भारी तबाही मचाई है जबकि नेपाल से सटे भारत के बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल आदि में भी काफी जान-माल के नुकसान की खबर है। 
अब तक 876 मौतों की सूचना है। भयंकर तबाही के बाद नेपाल में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। नेपाल से सटे भारतीय इलाकों, खासकर बिहार,सिकि्कम,दार्जीलिंग इलाकों में भी व्यापक क्षति हुई है। भूकंप के झटके चेन्नई तक महसूस किए गए।अब तक मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में 25, बंगाल 3 और उत्तर प्रदेश में 8 लोगों की जानें गई हैं। 

सबसे पहले 11 बजकर 44 मिनट पर भूकंप के झटके आए, जो एक मिनट से ज्यादा समय तक महसूस किए गए। इसके बाद दूसरी बार 12 बजकर 20 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए, जो पहले से कम तीव्रता के और कम समय महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.9 बताई जा रही है। हालांकि भारत में अधिकतम तीव्रता 6 से 6.5 रिक्टर स्कले थी। भूकंप का केंद्र नेपाल में काठमांडू से 77 किमी दूर उत्तर-पश्चिम में लामजून के पास 31 किलोमीटर गहराई पर था। वहां भूकंप की तीव्रता 7.9 थी। पाकिस्तान, बांग्लादेश में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। नुकसान की खबर केवल नेपाल से ही रही है। वहां कई मकान और इमारतें गिर गई हैं। 

भारत में भूकंप के झटके दिल्ली के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पश्चिम बंगाल, उडीसा और पश्चिम बंगाल में महसूस किए गए हैं। दिल्ली में इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5 मापी गई है। नेपाल में काफी लोगों के हताहत होने, इमारतें गिरने, सडकें धंसने, घरों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें मिल रही हैं। खबर लिखे जाने के वक्त तक वहां करीब 100 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है और अभी कई लोग ध्वस्त हुई इमारतों के मलबे में दबे हुए हैं। काठमांडू की ऎतिहासिक नौ मंजिला इमारत दारहारा ध्वस्त हो गई है, जिसके नीचे करीब 450 लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। इसे भीमसेन टॉवर भी कहते हैं। इसका निर्माण सन 1831 में कराया गया था। जनकपुरी के प्रसिद्ध जानकी मंदिर को भी काफई नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा भी कई इमारतों के गिरने की खबरें जिनके मलबे में कई लोगों के दबे होने और मारे जाने की खबरें रही हैं। प्रशासन ने बचाव और राहत कार्य तेजी से शुरू कर दिए हैं। इस त्रासदी की घडी में भारत ने बचाव और राहत कार्य चलाने के लिए एनडीआरएफ की पाचं टीमें रवाना कर दी है। इसके अलावा सेना के हेलिकॉप्टरों को अलर्ट पर रखा गया है, ताकि इशारा मिलते ही काठमांडू के लिए उडान भर सकें। 



पीएम मोदी ने बुलाई आपात बैठक....

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूकंप के मद्देनजर स्थिति का जायजा लेने के लिए दोपहर तीन बजे वरिष्ठ अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई है। इसके बाद नेपाल के लिए भारत की ओर से सहायता की घोषणा की जा सकती है। इससे पहले उन्होंने कैबिनेट की बैठक की है। पीएम मोदी ने भूटान स्थित भारतीय राजदूत से भी फोन पर बात कर वहां के हालात के बारे में जानकारी ली है। इसी के साथ केंद्र ने किसी भी तरह के हालत से निपटने के लिए एनडीआरएफ को अलर्ट रहने को कहा है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश और नेपाल में भूकंप प्रभावितों तक पहुंचने की कोशिश शरू हो गई है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग से बात करके स्थिति की जानकारी भी ली है। पहली बार तेज झटके करीब दो मिनट तक महसूस किए गए हैं। लोगों ने राहत की सांस ली ही थी कि करीब आधा घंटे बाद दूसरी बार करीब 20 सैकंड के लिए धरती कांपी। मौसम विभाग का कहना है कि भूकंप के और झटके (आफ्टरशॉक) महसूस किए जा सकते हैं। लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है। 

भूकंप से नेपाल से सटे बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड से भी जानमाल के नुकसान की खबरें मिलनी शुरू हो गई हैं। खबर लिखे जाने तक बिहार में बारह और उत्तर प्रदेश में तीन लोगों के मरने की खबरें मिली हैं। इनमें से बिहार के सीतामढी और चंपारण में चार-चार और दरभंगा में तीन लोगों के मरने की सूचना है। इसी प्रकार के उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में तीन लोगों के मरने की सूचना है। 

80 
साल बाद नेपाल में आया ऎसा भूकंप.... 



हिमालय की गोद में समाया पूरा नेपाल भूकंप के फॉल्ट जोन में है। नेपाल के बीच में से महेंद्र हाईवे फॉल्ट लाइन गुजरती है। यह तराई इलाकों और पहाडी इलाकों को क्रॉस करती है। यहां 1934 में सबसे ताकतवर भूकंप आया था। उसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 8.4 थी। इसी फॉल्ट लाइन के कारण शिलॉन्ग में भी 1897 में 8.5 तीव्रता वाला भूकंप चुका है। यह फॉल्ट लाइन उत्तराखंड से आगे दिल्ली तक जाती है। यही वजह है कि नेपाल में भूकंप का केंद्र होने के बाद भी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ और पूर्वोत्तर भारत में भी झटके महसूस किए गए। भारतीय मौसम विभाग के ऑपरेशन सिस्मोजॉजी के प्रमुख जेएल गौतम ने बताया कि भूकंप देश के पूर्व और उत्तरी हिस्सों में महसूस किया गया। 

विभाग द्वारा जारी बयान के मुताबिक, आज सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर 7.5 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के झटके दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में करीब एक मिनट तक महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई और वे अपने घरों और कार्यालयों से बाहर निकल आए। जैसे धरती कांपनी शुरू हुई लोग जान बचाने के लिए सडकों पर गए। दिल्ली और कोलकाता में मेट्रो की सेवा थोडी देर के लिए रोक दी गई। देश के कई हिस्सों में स्कूलों में छुट्टी कर दी गई। 

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