चाइल्ड पोर्न चाइल्ड पॉर्न देखना या डाउनलोड करना कानूनन अपराध है लेकिन लोग फिर भी देखने से बाज नहीं आ रहे है और इसकी संख्या बढती जा रही हैं। वर्तमान में ऐसा कोई भी चीज़ देखना तथा शेयर करना गैर जमानती अपराध है। इसमें सात साल की जेल और 10 लाख रुपये की पेनल्टी लग सकती है लेकिन सरकारी डेटा से खुलासा हुआ हैं कि चाइल्ड पॉर्न की लत लोगों को लग चुकीं हैं।
इंटरनेट पर चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज मटीरियल (CSAM) तलाशने और शेयर करने के मामले में छोटे शहरों से लेकर मेट्रो तक शामिल हैं। रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि बीते छह महीनों में चाइल्ड पॉर्न से जुड़ा मटीरियल शेयर करने में सबसे आगे अमृतसर, लखनऊ, अलापुझा, त्रिशूर जैसे शहर रहे। अमृतसर ने 1 जुलाई 2016 से 15 जनवरी 2017 के बीच चाइल्ड पॉर्न से जुड़े 4 लाख 30 हजार से ज्यादा फाइलें शेयर की गईं. दिल्ली दूसरे, जिसके बाद लखनऊ तीसरे नंबर पर था।
यह डाटा कम्प्यूटरों के आईपी एड्रेस पर आधारित है. हालांकि, कई मौकों पर यूजर्स चालाकी करते नजर आए, जब उन्होंने सॉफ्टवेयर्स के जरिए अपना आईपी छिपा लिया (आईपी मास्किंग) या लोकेशंस के साथ छेड़छाड़ की. यानी ट्रैकिंग से बचने के लिए आईपी एड्रेस को विदेश के लोकशंस पर दिखाने की कोशिश की गई।
इंटरनेट पर चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज मटीरियल (CSAM) तलाशने और शेयर करने के मामले में छोटे शहरों से लेकर मेट्रो तक शामिल हैं। रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि बीते छह महीनों में चाइल्ड पॉर्न से जुड़ा मटीरियल शेयर करने में सबसे आगे अमृतसर, लखनऊ, अलापुझा, त्रिशूर जैसे शहर रहे। अमृतसर ने 1 जुलाई 2016 से 15 जनवरी 2017 के बीच चाइल्ड पॉर्न से जुड़े 4 लाख 30 हजार से ज्यादा फाइलें शेयर की गईं. दिल्ली दूसरे, जिसके बाद लखनऊ तीसरे नंबर पर था।
यह डाटा कम्प्यूटरों के आईपी एड्रेस पर आधारित है. हालांकि, कई मौकों पर यूजर्स चालाकी करते नजर आए, जब उन्होंने सॉफ्टवेयर्स के जरिए अपना आईपी छिपा लिया (आईपी मास्किंग) या लोकेशंस के साथ छेड़छाड़ की. यानी ट्रैकिंग से बचने के लिए आईपी एड्रेस को विदेश के लोकशंस पर दिखाने की कोशिश की गई।
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