पुलिस वाले जिन्हे रक्षक कहा जाता है, अगर वो ही मिल के गैंगरेप करे वो भी पुलिस ठाणे में तो फिर क्या कहने को बचता है, उत्तर प्रदेश में वैसे भी बलात्कार के मामले बहुत बढ़ गए है। कहा ही गया है गुंडों की सरकार है उत्तर प्रदेश में तो ये सब आम बात है। इतना ही नहीं गैंगरेप पीड़ित के परिजनों का आरोप है की इस गुंडों की सरकार में उन्हें इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं है। दोनों आरोपी यादव है, यह भी हवा चल रही है की यादवो की सरकार है, तो इन दोनों सिपाहियों का कुछ नही होगा, मरी जाएगी नाबालिक लड़की।
इसी कर्म में, बदायूं जिले के एक थाने में दो सिपाहियों नाबालिक के द्वारा कथित रूप से पुलिस ठाणे में ही गैंगरेप करने के आरोपी दो सिपाहियों में से एक को मंगलवार तडके बरेली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अभियुक्त अवनीश यादव को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स और स्थानीय पुलिस ने सोमवार देर रात करीब एक बजे उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह ट्रेन पकडने की तैयारी में था। उन्होंने बताया कि दूसरे आरोपी वीरपाल की तलाश की जा रही है।
14 वर्षीय नाबालिक के साथ थाना परिसर में कथित गैंगरेप करने के बाद से दोनों आरोपी सिपाही फरार थे। उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनकी तलाश का जिम्मा स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को सौंपा था। पुलिस महानिदेशक ने बताया था कि नव वर्ष की पूर्व संध्या पर हुई घटना के बाद से फरार चल रहे कांस्टेबल वीरपाल सिंह यादव और अवनीश यादव को पकडने का जिम्मा एसटीएफ को सौंपा गया था। घटना के बाद दोनों कांस्टेबलों को बर्खास्त कर दिया गया था।
विपक्षी दलों का प्रेशर !
विपक्षी दलों के हमले के बाद सरकार ने थाने पर तैनात नाइट ड्यूटी प्रभारी हिमांशु शुक्ला और हेड कांस्टेबल उदयवीर सिंह को निलंबित कर दिया गया था जबकि सब इंस्पेक्टर शोबरन सिंह यादव को लाइन हाजिर कर दिया गया था। पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) ने लखनउ में संवाददाताओं को बताया था कि मेडिकल जांच में बलात्कार की पुष्टि हुई है। इस बीच जिलाधिकारी शंभूनाथ ने बताया कि मुख्यमंत्री कोष से पीडिता के परिजनों को पांच लाख रूपये की वित्तीय मदद दी गई है, पर नाबालिक के परिजन ऐसी किसी भी मदद मिलने से साफ़ इंकार कर रहे है।
विपक्षी दलों के हमले के बाद सरकार ने थाने पर तैनात नाइट ड्यूटी प्रभारी हिमांशु शुक्ला और हेड कांस्टेबल उदयवीर सिंह को निलंबित कर दिया गया था जबकि सब इंस्पेक्टर शोबरन सिंह यादव को लाइन हाजिर कर दिया गया था। पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) ने लखनउ में संवाददाताओं को बताया था कि मेडिकल जांच में बलात्कार की पुष्टि हुई है। इस बीच जिलाधिकारी शंभूनाथ ने बताया कि मुख्यमंत्री कोष से पीडिता के परिजनों को पांच लाख रूपये की वित्तीय मदद दी गई है, पर नाबालिक के परिजन ऐसी किसी भी मदद मिलने से साफ़ इंकार कर रहे है।
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