मै महिला नहीं , सायद जानवर हु ………जानिए कैसे





भारत हमारा पयारा देश सब्यता और संस्कृति के लिए जाना जाता है, पर हमारे देश की अंदरुनी हकीकत कुच्छ और है।

भारत में हर पांच मिनट में घरेलू हिंसा का एक मामला दर्ज होता है. कानूनी नज़रिए से घरेलू हिंसा का मतलब है पति या उसके परिवार वालों के हाथों प्रताड़ना. अपराध के आंकड़ों की सत्यता, उनका विश्लेषण और पीड़ितों के अनुभव के कुछ आंकड़े इस प्रकार है।
                    

2013 में दर्ज महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले =   309546



 घरेलू हिंसा के मामले    = 118866 
यौन उत्पीड़न के मामले   = 70739
 अपहरण के मामले      = 51881
 बलात्कार के मामले     = 33707
अन्य अपराध के मामले  = 34353

      
  " ये मामले तो वो है जो दर्ज हुआ है, जरा सोचिये, जो मामले दर्ज नही होते उनकी संख्या क्या होगी।"

 माया (बदला हुआ नाम) उन लाखों महिलाओं में शामिल हैं, जिन्हें घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है. जरा पढ़िए उसकी कहानी।

 "मेरे पति कमरे में आए. दरवाजा बंद किया. म्यूज़िक सिस्टम की आवाज़ तेज कर दी, ताकि बाहर किसी को आवाज़ सुनाई दे. उसके बाद उन्होंने अपनी बेल्ट निकाली और मुझे पीटना शुरू किया. अगले 30 मिनट तक वह मुझे पीटते रहे"

"जब वह यह सब कर रहा था. उसने मुझे चेतावनी दी कि मैं आवाज़ निकालूं. मैं रो नहीं सकती थी, चीख नहीं सकती थी. अगर मैं ऐसा करती थो वो मेरी और पिटाई करता. वह मुझे बेल्ट और हाथों से पीटता रहा. फिर मेरा गला घोंटने लगा. वह बहुत गुस्से में था।"

माया उस घटना के बारे में बता रही थीं जो उनके साथ तब घटी जब वो महज 19 साल की थी. उनकी शानदार शादी के महज एक साल बाद। 

वह अपने पति से पहली बार अपने एक दोस्त के जरिए कुछ ही महीने पहले मिली थी. शुरुआत में वह "करिश्माई और दोस्ताना" लगा था लेकिन यह लंबे समय तक नहीं रहा।

माया ने बताया, "वह लापरवाह बन गया और मेरे साथ गाली गलौज करने लगा। मेरे पिता स्कूल टीचर थे, और मेरी मां के साथ कभी कभी दुर्व्यवहार किया करते थे, ऐसे में मुझे लगा कि ये ज़िंदगी का ही हिस्सा है, मैं हमेशा सोचती रहती कि शायद कभी हालात बेहतर होंगे।"

माया आंसू भरी आँखों के साथ बताया कि हालात ख़राब होते गए.



"समय के साथ उसकी हिंसा बढ़ती गई. मैं सोचती थी कि वह जैसा कह रहा है, वैसा करने से हालात बेहतर होंगे. वह यही कहता था लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं. उसे मुझमें कोई कोई ग़लती मिल जाती थी. उसका गुस्सा किसी भी बात से भड़क जाता था. उसके साथ जीवन का हर पल अनजाने डर में गुज़रता था. वह जब बाहर जाता और घर लौटता, तो मुझे मालूम नहीं होता कि वह क्या चाहता है, नीचा दिखाता या फिर मुझे पीटना शुरू कर देता।"

माया घर के नाम पर नर्क में रह रही थी लेकिन शादी के ठीक छह साल बाद मार्च 2013 में वह अपने दोस्तों की मदद से घर से भागने में कामयाब हुई।

आज, वह अपने अतीत को पीछे छोड़ चुकी हैं. उन्हें एक गैर सरकारी संगठन में नौकरी मिल चुकी है और नए सिरे से जीवन शुरू कर रही है।


दिसंबर, 2012 में दिल्ली की एक बस में 23 साल की युवती के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ, पीड़िता की मौत हो गई. इस घटना के बाद लोगों का ध्यान भारत में होने वाले बलात्कारों की तरफ़ गया. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस सालों से देश भर में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के मामले सबसे ज़्यादा दर्ज होते हैं.

हर साल इन मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है.

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