देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बनने
जा रहे हैं.
राजनीति उन्हें
विरासत में मिली
है क्योंकि उनके
पिता गंगाधर राव
फडणवीस भी महाराष्ट्र की
विधान परिषद के
सदस्य थे और
आपातकाल में वो जेल
भी गए थे.
देवेंद्र फडणवीस
काफी कम उम्र
में ही संघ
परिवार से जुड़
गए थे. नितिन
गडकरी को राजनीति में
लाने का श्रेय
भी देवेंद्र फड़नवीस के
पिता को ही
है.
गडकरी
जब राजनीति में
स्थापित हो गए, तो
उन्होंने देवेंद्र फड़नवीस को मौक़ा दिया.
फडणवीस नागपुर के
सबसे कम उम्र
के महापौर बने.
वो
महाराष्ट्र में भारतीय जनता
पार्टी के पहले
मुख्यमंत्री होंगे और वो
भी काफ़ी कम
उम्र में.
नितिन
गडकरी अब केंद्र
में मंत्री हैं
और कहा यही
गया है कि
वो महाराष्ट्र की
राजनीति में आना नहीं
चाहते. बस शिवसेना के
रवैये के ख़िलाफ़ उन्हें
तुरुप के पत्ते
की तरह इस्तेमाल किया
जा रहा था.
यह
बात सही है
कि देवेंद्र फडवीस
को भी प्रशासन चलाने
का अनुभव नहीं
है. उसी तरह
जिस तरह नरेंद्र मोदी
कभी सांसद नहीं
थे और सीधे
प्रधानमंत्री बन गए.
विधायक
होने के बावजूद
देवेंद्र फडणवीस भी कभी
मंत्री नहीं रहे
हैं. अब उन्हें
सीधे मुख्यमंत्री बनने
का मौक़ा मिला
है.
लेकिन
विधायक की हैसियत
से उनका कामकाज
काफी अच्छा रहा
है.
देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के
भाजपा के पहले
मुख्यमंत्री देंगे.
वो
हमेशा चीज़ों को
समझबूझ कर ही
काम करते रहे
हैं. उन्होंने एक
परम्परा शुरू की जिसमें
आम लोगों को
सरकार के बजट
के बारे में
बताया जाए.
अमूमन
विधान सभा में
ही इस तरह
की चर्चा होती
है, मगर देवेंद्र फडणवीस
लोगों के बीच
इस पर चर्चा
करते रहे हैं.
बेशक
उनके पास प्रशासन चलाने
का अनुभव न
रहा हो मगर
संगठन चलाने का
अच्छा खासा अनुभव
उनके पास है
और उन्होंने यह
साबित भी कर
दिया है.
यह
भी संयोग है
कि जब नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री बने तो उनके
मंत्रिमंडल के सदस्य गोपीनाथ मुंडे
ने 'दिल्ली में
नरेंद्र और महाराष्ट्र में
देवेन्द्र' का नारा दिया
था. मुंडे की
बात अब सच
हो गयी है.
भारतीय
जनता पार्टी ने
भी राज्य में
जातिगत समीकरणों को
ध्यान में रखते
हुए ही देवेंद्र फडणवीस
को मुख्यमंत्री बनाकर
नया प्रयोग किया
है.
पार्टी
के सामने सबसे
बड़ी चुनौती है
कि जितने सख्त
तेवर उसने अभी
तक अपनाए हैं,
क्यो वो वहीं
तेवर बनाये रखती
है. यह भारतीय
जनता पार्टी का
कड़ा इम्तहान भी
होगा.
महाराष्ट्र में
यह माना जा
रहा था कि
शिवसेना के पास उद्धव
ठाकरे के रूप
में मुख्यमंत्री का
एक चेहरा था
जबकि भारतीय जनता
पार्टी के पास
कोई नाम नहीं
था.
अब
फडणवीस के लिए
चुनौती होगी कि
न सिर्फ़ अपनी
पार्टी बल्कि लोगों
की उम्मीदों पर
भी खरा उतरें.
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